ख़्वाबों में आना-जाना, यादों में यूँ मिल जाना
ख़्वाबों में आना-जाना, यादों में यूँ मिल जाना
जैसे कभी तुम गए ही नहीं
जैसे जुदा हम हुए नहीं
ख़्वाबों में आना-जाना, यादों में यूँ मिल जाना
जैसे कभी तुम गए ही नहीं
ख़ामोश लम्हें सुन रहे हैं आहटें जैसे तेरी
तन्हाइयों का सिलसिला ये तक रहा राहें तेरी
तू ना आए, पर सजाए बैठे हैं हम
ये उम्मीदें अपनी, सनम
तू ना आए, ये उम्मीदें
जीते हैं हम इनके दरमियाँ
महकी हुई वो शाम जिसमें खुल गया चर्चा तेरा, हाँ
बहकी हुई वो रात जिसमें खिल गया चेहरा तेरा
बेक़रारी बढ़ रही है, अब आओ ना
ज़िंदगी तुम चुराओ ना
बेक़रारी, ज़िंदगी तुम
कब तक करें एतबार?
ख़्वाबों में आना-जाना, यादों में यूँ मिल जाना
जैसे कभी तुम गए ही नहीं
जैसे जुदा हम हुए नहीं